Research Summary
राजस्थान विश्वविद्यालय की संस्कृत में Ph.D. की उपाधि के लिये सन् 1973 में प्रस्तुत ‘तैत्तिरीय संहिताः एक अध्ययन (यज्ञ संस्था ) शोध प्रबन्ध में कृष्ण यजुर्वेद के नाम से विख्यात तैत्तिरीय संहिता में निर्द्दिष्ट अग्न्याधान,पुनराधान , अग्निहोत्र , अन्वारम्भणीयेष्टि, दर्शपूर्णमास, पिण्डपितृयज्ञ, निरूढ पशुबन्ध, चातुर्मास्य, आग्रयणेष्टि (9) अग्निष्टोम, उक्थ्य , षोडशी, अतिरात्र , अत्यग्निष्टोम, वाजपेय, अप्तोर्याम (7) चयन, सौत्रामणी , राजसूय , अश्वमेध, अहीन, सत्र, गवामयन, उत्सर्गिणामयन (8) इन 24 यज्ञों का प्रयोजन और अनुष्ठान विधि के साथ परिचय राष्ट्रभाषा में सप्रमाण प्रस्तुत किया गया है। साथ ही यज्ञों से सम्बन्धित सामग्री भी वर्गीकृत रूप में इस शोधग्रन्थ में प्रदर्शित की गयी है।
अभिरुचि के विषय
- नाना प्रकार के भ्रष्टाचार ,उग्रवाद , आतङ्कवाद , नक्सलवाद आदि विषम समस्याओं के जन्मदाता मन के प्रदूषण को सर्वथा समाप्त करने और सदाचारिता का प्रचार-प्रसार करने हेतु नैतिक शिक्षा – प्रद कथा, निबन्ध, पत्र, नाटक , काव्य आदि की संस्कृत में रचना कर उनके द्वारा जनजन में संस्कृतशिक्षा की ओर ध्यान आकृष्ट करना एवं संस्कृत सीखने के इच्छुक व्यक्तियों को स्वल्पतम समय में अपनी आविष्कृत पद्धति से संस्कृतसिखाना और संस्कृत – शोधार्थियों की समुचित सहायता करना।
- अंग्रेजी शब्दों का पाणिनीय पद्धति से संस्कृतीकरण।
- सादा जीवन उच्च विचार रखने के साथ अनावश्यक परिग्रह से दूर रहते हुए सभी के सुखी नीरोग और दीर्घायु होने के लिये—
‘‘ सर्वे भवन्तु सुखिनः ,सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत् ॥” इस प्रकार नित्य भगवान् से प्रार्थना करना। - कानों से अच्छी बातें सुनने , आँखों से अच्छे दृश्य देखने , वाणी से हितकारी मधुर वचन बोलने और स्वस्थ अङ्गों वाले शरीर से पूर्ण देवायु प्राप्त करने की
‘‘भद्रं कर्णेभिःशृणुयाम देवा
भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्
व्यशेमहि देवहितं यदायुः॥” इन शब्दों से भगवान् से सतत याचना करना। - विद्या-वयोवृद्धों का सम्मान एवम् अनुजों से वात्सल्यपूर्ण व्यवहार कर उनको संस्कृत सीखने और गद्यपद्य में संस्कृत लिखने की ओर प्रवृत्त करना।
राजस्थान विश्वविद्यालय से D.Litt. की पदवी के लिये संस्कृत में प्रस्तुत ‘ उणादि – पदानुक्रम – कोषः’ की विषयवस्तु:—
व्याकरण के मूर्धन्य आचार्य पाणिनि मुनि के निर्द्दिष्ट 2517 उणादि शब्दों को अकारादि वर्णमालाक्रम से सँजोकर उनका निर्वचन करते हुए पाणिनीय पद्धति से 758 सूत्रों द्वारा 303 प्रत्ययों से व्युत्पत्ति प्रस्तुत की गयी है, जहाँ तहाँ अपनी ओर से भी उन शब्दों की सम्भावित निरुक्ति और व्युत्पत्ति दर्शायी गयी है। साथही यह भी बताया गया है कि वे उणादि शब्द किस किस लिङ्ग में हैं और वेद, ब्राह्मण , उपनिषद् , स्मृति , व्याकरण , कोष , निघण्टु, निरुक्त , रामायण , महाकाव्य आदि शास्त्रों में कहाँ कहाँ प्रयुक्त हुए हैं।
Research Projects based on books of Shri. Narayan Shastri Kankar
शोध-उपाधि नाम | शोधउपाधिदाता संस्थान | शोधकर्त्ता संख्या |
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1. जिनको उपाधि मिल चुकी हैं | ||
Ph.D. | महर्षि दयानन्द विश्व विद्यालय, रोहतक ( हरियाणा ) | 1 |
विद्यावारिधिः (Ph.D.) | जगद्गुरु-रामानन्दाचार्य-राजस्थान-संस्कृत-विश्व-विद्यालयः, जयपुरम् | 1 |
Ph.D. | मोहनलाल सुखाडिया विश्व विद्यालय ,उदयपुर | 1 |
Ph.D. | राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर | 4 |
2. Ph.D. के वे शोधग्रन्थ जिनमें डॉ. काङ्कर को भी सम्मिलित किया गया | ||
Ph.D. | राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर | 4 |
Ph.D | दयालबाग डीम्ड युनिवर्सिटी , आगरा | 1 |
D.Phil. | इलाहबाद विश्वविद्यालय | 1 |
3. M.Ed. के वे शोधग्रन्थ जिनमें डॉ. काङ्कर को भी सम्मिलित किया गया | ||
M.Ed. | जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर | 1 |
4. वे शोधार्थी जिन्होंने M.Phil. किया | ||
M.Phil. | महर्षिदयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक (हरियाणा) | 2 |
M.Phil. | राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर | 1 |
M.Phil. | कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, पत्राचार- पाठ्यक्रम-निदेशालय | 1 |
M.Phil. | कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय | 1 |
M.Phil. | जगद्गुरुरामानन्दाचार्य- राजस्थानसंस्कृतविश्व-विद्यालयः, जयपुरम् | 1 |
M.Phil. | महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय ,अजमेर | 1 |
M.Phil. | डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय , सागर (म.प्र.) | 1 |
M.Phil. | कोटा विश्वविद्यालय कोटा | 1 |
5. संस्कृति मन्त्रालय भारत सरकार से शिक्षावृत्ति प्राप्त कर लिखे गये शोधग्रन्थ | ||
कनिष्ठ शिक्षावृत्ति | संस्कृतिमन्त्रालय भारत सरकार, नई दिल्ली | 2 |
वरिष्ठ शिक्षावृत्ति | संस्कृतिमन्त्रालय भारत सरकार नई दिल्ली | 2 |
6. वर्तमान में शोध लेखक | ||
विद्यावारिधिः ( Ph.D.) | जगद्गुरु-रामानन्दाचार्य- राजस्थान –संस्कृत-विश्वविद्यालयः,जयपुरम् | 1 |
विद्यावारिधिः ( Ph.D.) | राष्ट्रिय-संस्कृत- संस्थान(मानित विश्वविद्यालय ),नई दिल्ली | 4 |
Ph.D. | राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर | 1 |
7. शोध प्रबन्ध | ||
M.A. | राजस्थान विश्व- विद्यालय, जयपुर | 1 |
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